कर्जदार मध्य प्रदेश : एक साल में 54,000 करोड़ का कर्ज, अब तक कितना कर्ज जान लीजिए

Mohan Goverment Loan: मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार ने बीते एक वर्ष में 54,000 करोड़ रुपए का कर्ज लेकर राजनीतिक और आर्थिक हलकों में बहस छेड़ दी है।
सरकारी विकास योजनाओं और अन्य खर्चों के नाम पर यह धनराशि जुटाई गई है, लेकिन इसका भार अब जनता पर लगातार बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
मोहन सरकार ने पांच बार लिया 5,000 करोड़ का कर्ज
मोहन सरकार ने बीते 11 महीनों में कुल पांच बार 5,000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। यह कर्ज मुख्य रूप से आरबीआई से लिया गया, जो अलग-अलग अवधि के लिए है। उदाहरण के तौर पर, अगस्त 2024 में 11 और 21 साल की अवधि के लिए 5,000 करोड़, सितंबर में 12 और 19 साल के लिए, और अक्टूबर में भी दो किश्तों में 5,000 करोड़ रुपए का कर्ज शामिल है।
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सरकार ने अब फिर से 5,000 करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने की योजना बनाई है, जिससे राज्य पर कुल कर्ज बढ़कर 4 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।
कांग्रेस ने कहा विकास कहाँ हो रहा है
कर्ज लेने की इस प्रक्रिया पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल ने कहा, “सरकार किसानों का कर्ज माफ नहीं कर रही, लाड़ली बहनों को 3,000 रुपए देने का वादा पूरा नहीं हुआ। विकास कार्यों की बात तो हो रही है, लेकिन जमीन पर इसका कोई असर दिखाई नहीं दे रहा।
ब्रांड या स्टॉक को गिरवी रखकर लगी लोन
जानकारी के अनुसार ई ऑक्शन प्रक्रिया के तहत मध्य प्रदेश सरकार सरकारी ब्रांड या स्टॉक को गिरवी रखकर यह कर्ज लेने की तैयारी में है इस कर्ज को दो हिस्सों में यानी 2500 करोड़ रुपए की दो भागों में मिलेगा जानकारी के अनुसार कल 27 नवंबर को मध्य प्रदेश सरकार को यह राशि मिल सकती है।
कर्ज लेने का कारण
सरकार का कहना है कि यह कर्ज राज्य में चल रही विकास योजनाओं को गति देने के लिए लिया गया है। सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, और ग्रामीण विकास जैसी योजनाओं के लिए यह धनराशि जरूरी बताई गई है। लेकिन विपक्ष का तर्क है कि इन योजनाओं का क्रियान्वयन धीमा है, और कर्ज का इस्तेमाल अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है।
जनता पर बढ़ता कर्ज का बोझ
विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े स्तर पर कर्ज लेना न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति को कमजोर करता है, बल्कि इसका सीधा असर राज्य की जनता पर भी पड़ता है। इस कर्ज की भरपाई के लिए राज्य सरकार को या तो कर बढ़ाना पड़ेगा या विकास योजनाओं में कटौती करनी पड़ेगी, जिससे जनता के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
क्या कहता है आर्थिक विश्लेषण?
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, 4 लाख करोड़ का कर्ज मध्य प्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के मुकाबले बेहद चिंताजनक है। कर्ज पर बढ़ता ब्याज भार सरकार की वित्तीय नीतियों को कमजोर बना सकता है। यदि कर्ज को सही दिशा में इस्तेमाल नहीं किया गया, तो यह भविष्य में वित्तीय संकट का कारण बन सकता है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
- कर्ज की कुल राशि (1 साल 2024 में) 54,000 करोड़ रुपए
- कुल कर्ज (2024 तक) 4 लाख करोड़ रुपए
- आखिरी बार लिया गया कर्ज:-अक्टूबर 2024 (5,000 करोड़ रुपए)
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