काला सोने का काला कारोबार 50 से 100 फीट सुरंगे से हजारों टन निकाला कोयला
प्रशासन की नाक के नीचे बगैर अनुमति सालों से माफिया इसकी बेहिसाब खुदाई करवाते चले आ रहे
MP Coal Mafia: जानकारी के लिए बता देते हैं कि बैतूल में कोल माफिया ने काला सोना का काला कारोबार करना चालू कर दिया है जी हां बताया जा रहा है कि यह प्रशासन की नाक के नीचे कारोबार कर रहे हैं।
और प्रशासन फिर भी इन खदानों को बंद कर रहा है बताया जा रहा है कि दुल्हारा गांव में तवा नदी के किनारे बड़ी मात्रा में प्रशासन के नाक के नीचे ही बिना किसी अनुमति के सालों से कल माफिया इसकी बेहिसाब खुदाई करते चले आ रहे हैं।
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जी हां और यह भी कहा जाता है कि गांव की अर्थव्यवस्था इसी पर टिकी हुई है यह कोयले को अवैध रूप से निकलकर की गांव के लोग कोल माफिया के लिए काम कर रहे हैं जहां जमीन की सतह से थोड़ी नीचे ही कोयला मिल जाता है।
सुरंग बनाकर खोदते कोयला
आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि दुल्हारा गांव में ग्रामीण सुरंग बनाकर के खदान खोदते हैं और कई बार कुए जैसी खदानें भी खोदते हैं बताया जा रहा है की खदानों के मुहाने ऐसे बनाए जाते हैं कि वह दूर से बिल्कुल भी दिखाई नहीं देते।
इन मुहाने के अंदर जाकर के खुदाई की जाती है जहां तक भी कोयला मिलता है इस बार कई बार इन खदानों में तो 50 से 100 फीट तक की सुरंगे बन जाती है।
जिसमें घुसकर के मजदूर कोल माफिया के लिए कोयला खुद करके बाहर निकलते हैं कुछ जगहों पर गहरे कुएं दिखाई देते हैं जो काफी पुराने हैं लेकिन यह बहुत ही खतरनाक है इन अवैध कोयला खदानों में हजारों टन कोयला भी निकाला जा चुका है।
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प्रशासन ने कई बार की खदानें बंद
आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि पिछले कई दशक से यहां कोल माफिया जिला प्रशासन को चकमा दे रहे हैं जिला प्रशासन ने पहले भी कई बार इन खदानों को बंद करने का प्रयास कर दिया था।
लेकिन कोल माफिया दोबारा इन खदानों को खोलकर के अवैध कोयला खोदना शुरू कर देते हैं यह कोयला बैतूल के पड़ोसी जिले सहित इंदौर भोपाल महाराष्ट्र के शहरों में भी ऊंची कीमतों में बेचा जाता है।
खनिज विभाग ने फिर की कार्यवाही
आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि एक बार फिर कलेक्टर ने यहां निर्देश पर खनिज विभाग दल व बल के साथ मे इन खदानों और कुएं के मुहाने को सील करने में जुट गया है। जिसमे यह जेसीबी की सहायता से इनको बंद भी किया जा रहा है।
और यह सवाल है कि क्या इतनी प्रयास काफी हो गए क्योंकि इस इलाके का इतिहास यह रहा है कि जितनी खदानें प्रशासन ये बंद करवाता है उससे कई ज्यादा यह खदानों का निर्माण कोल माफिया कर लेते हैं।
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