सावधान मध्य प्रदेश में अब कर्मचारियों के डिमोशन का दौर जारी, लापरवाही करने पर साल 2025 में अब तक दो अधिकारियों के हुए डिमोशन, जानिए क्या है मामले
- सरकारी कर्मचारी के डिवोशन का नियम
- डिमोशन का नियम लागू सेवा समाप्ति के बाद
- ताजा डिमोशन के मामले आए ही सामने
MP Employees News : मध्य प्रदेश के कर्मचारी जगत में इन दोनों डिमोशन का खौफ बहुत चल रहा है। आपने अभी अधिकारियों कर्मचारियों के प्रमोशन की खबरें तो बहुत सुनी होगी लेकिन अब डिमोशन का खौफ चल रहा है। हालांकि बहुत तार से बात दो सरकारी कर्मचारियों पर इस तरह की विभागीय बिजली गिरने वाली है। विभागीय जांच और निलंबन के बाद दोषी पाए जाने पर भविष्य में डिमोशन की कार्यवाही की जा सकती है।हालांकि कर्मचारी संगठन इस कार्यवाही के खिलाफ है।
सरकारी कर्मचारी के डिवोशन का नियम
जिस तरह कर्मचारियों को अच्छे काम के लिए प्रमोशन दिया जाता है। इस तरह खराब कार्य करने पर या किसी विभागीय कार्यवाही के चलते डिमोशन मिलता है।डिमोशन का अर्थ है कर्मचारियों को उसके वेतन पर से नीचे पद और ग्रेड पे कार्य करना होता है।
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मध्य प्रदेश सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के अनुसार नियम 10 में इसका प्रावधान बताया गया है कि मध्य प्रदेश के कर्मचारी जगत में अब तक भ्रष्टाचार और ऐसे तमाम मुद्दों पर दोषी पाए जाने पर सस्पेंड और विभागीय जांच का चलन ज्यादा चल रहा है। इसको देखते हुए सरकार ने डिमोशन का नियम लागू किया है।
डिमोशन का नियम लागू सेवा समाप्ति के बाद
कर्मचारी संघ के तृतीय वर्ग प्रांतीय महामंत्री हरीश बोयत जी ने कहा है कि किसी मामले में कम सरकारी कर्मचारियों को दोषी पाए जाने पर सेवा समाप्ति की सजा दी जा रही है। लेकिन हाल ही में पुलिस मुख्यालय से निकले इस आदेश के बाद अब डिमोशन की सजा का चलन एक बार फिर शुरू होने वाला है। गृह विभाग महिला विभाग विकास विभाग समिति कई विभागों में यह चलन शुरू हो गया है।
लेकिन इस तरह की कार्यवाही छोटा अधिकारी कर्मचारियों पर हो सकती है। हाल ही में सिविल सेवा अधिनियम के तहत अब दो मामलों में डिमोशन की सजा सुनाई गई है।जिसमें एक इंदौर के थाना प्रभावी प्रभारी को सब इंस्पेक्टर के रूप में रिमोट किया गया है। इस तरह देखें तो दूसरे राजस्व विभाग के लिपिक को भाट्य के रूप में डिमोट किया गया है।
ताजा डिमोशन के मामले आए ही सामने
इंदौर के विजयनगर थाने में 15 जून 2030 को तीन युवक को ऑनलाइन सट्टा खेलने के आरोप में दबोचा गया था। जिसमें एक नाबालिक बच्चा था इस मामले में बच्चों को छुड़ाने के लिए परिजनों ने पुलिस कर्मियों की मांग पर रिश्वत दी थी। इसकी शिकायत मिलने पर थाना प्रभारी रविंद्र सिंह गुर्जर और अन्य दो पुलिसकर्मी इस मामले की जांच में दोषी पाए गए थे। थाना प्रभारी को हाल ही में पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह गुर्जर ने 3 वर्ष के लिए सब इंस्पेक्टर के रूप में डिमोशन कर दिया गया।
एडिशनल पुलिस कमिश्नर अमित सिंह ने बताया है कि पुलिस थाना प्रभारी रविंद्र सिंह गुर्जर के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में शिकायत दर्ज की गई थी। और इस पूरे मामले की जब जांच की गई तो यह आप सत्य पाया गया। जिसके बाद पुलिस कमिश्नर ने थाना प्रभारी पर कड़ी कार्यवाही की और उन्हें डिमोशन दे दिया गया।
बुरहानपुर कलेक्टर ने एक मामले में
बुरहानपुर कलेक्टर ने एक और अन्य मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत परियोजना कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड3 सुभाष काकड़े को भृत्य के पद पर अवगत किया है। सुभाष काकड़े आंगनबाड़ी सहायिका के पद पर भारती के लिए राशि मांगे मांगने के लिए दोषी पाई गए।
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री हरीश बोयत पद से डिमोट करने के मामले में रहते हैं कि इस तरह की सजा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है शासन स्तर पर छोटे कर्मचारियों को डिमोट किया जा रहा है। लेकिन कभी किसी इस या कलेक्टर को तहसीलदार नहीं बनाया जा सकता है। जहां तक पुलिस विभाग की बात करें तो वहां सेवा शर्तों में रियासतें भी हैं।
लेकिन शासन स्तर पर राजस्व और अन्य विभागों के छोटे कर्मचारियों के लिए यह उसकी पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा पर कोठारा घाट है।अधिकतर ऐसे मामलों में विभागीय जांच के बाद एक या दो वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है। लेकिन डिमोशन करना उचित नहीं है।