Madhya Pradesh Crime : फिल्मों को भी मात दे गया तस्करों का दिमाग, ट्रक में बना रखा था सीक्रेट केबिन, पुलिस ने पकड़ा 1200 किलो डोडाचूरा, रतलाम से पंजाब ले जाया जा रहा था माल
Madhya Pradesh Crime : रतलाम में फिल्मी स्टाइल में हो रही थी डोडाचूरा की तस्करी, पुलिस ने कंटेनर के गुप्त केबिन से 1200 किलो मादक पदार्थ जब्त कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया।

- ट्रक की ड्राइवर सीट के पीछे बना था सीक्रेट केबिन
- 60 बोरों में छिपाकर रखे गए थे 1200 किलो डोडाचूरा
- पुलिस को मुखबिर से मिली थी गुप्त जानकारी, दो गिरफ्तार
Madhya Pradesh Crime : देश मे आजकल तस्कर फिल्मों से भी एक कदम आगे निकल गए हैं। रतलाम पुलिस ने एक ऐसी तस्करी का पर्दाफाश किया है जिसे देखकर आम जनता तो क्या, खुद पुलिस भी हैरान रह गई। ड्राइवर सीट के पीछे बने एक सीक्रेट केबिन से जब पुलिस ने 1200 किलो डोडाचूरा बरामद किया, तो मामला सिर्फ एक और तस्करी का नहीं रहा ये एक सुनियोजित नेटवर्क का हिस्सा नजर आया।
कैसे हुआ खुलासा?
दरअसल, जावरा शहर थाना पुलिस को गुप्त सूत्रों से जानकारी मिली थी कि एक ट्रक में भारी मात्रा में मादक पदार्थ भरकर पंजाब भेजा जा रहा है। सूचना मिलते ही पुलिस ने शहर के बाहरी इलाके में चेकिंग शुरू की। कुछ ही देर में एक संदिग्ध ट्राला आता दिखाई दिया जिसे तुरंत रोक लिया गया।
जब पुलिस ने ट्रक की तलाशी ली, तो शुरुआत में कुछ भी नहीं मिला। लेकिन अनुभवी पुलिस अफसरों की नजर ट्रक की ड्राइवर सीट के पीछे कुछ असामान्य डिज़ाइन पर पड़ी। जब उस हिस्से को खोला गया तो अंदर बना मिला एक सीक्रेट केबिन, और वहीं छिपा था नशे का जखीरा।
क्या मिला केबिन में?
सीक्रेट केबिन के अंदर छिपाकर रखे गए थे 60 बोरों में भरे 1200 किलो डोडाचूरा। इस मादक पदार्थ की कुल बाजार कीमत लगभग 36 लाख रुपए आंकी गई है। डोडाचूरा को इस तरीके से छिपाकर ले जाना अपने आप में दिखाता है कि तस्करों ने कितनी तैयारी के साथ इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने की योजना बनाई थी।
कौन हैं आरोपी?
पुलिस ने ट्रक ड्राइवर समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी पंजाब के रहने वाले हैं और शुरुआती पूछताछ में इन्होंने बताया कि उन्हें सिर्फ माल पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी। अब पुलिस इस बात की तह तक जाने में लगी है कि असली मास्टरमाइंड कौन है और यह खेप किसके कहने पर भेजी जा रही थी।
ये पहला मामला नहीं
रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों को मादक पदार्थों की तस्करी के लिए जाना जाता रहा है। कभी दूध के टैंकर में, कभी एम्बुलेंस में और अब तो ट्रकों के अंदर गुप्त केबिन बनाकर नशे का व्यापार हो रहा है। तस्करों के लिए अब कोई साधन पवित्र नहीं बचा हर वाहन को नशे का ज़रिया बनाया जा रहा है।
फिल्मी स्टाइल में तस्करी
इस बार तस्करी का तरीका वाकई चौंकाने वाला था। यह कोई सीधा-सादा मामला नहीं था, बल्कि पूरा ऑपरेशन ऐसे तैयार किया गया था जैसे किसी क्राइम फिल्म की स्क्रिप्ट हो। ड्राइवर सीट के पीछे केबिन बनाना, उसमें बोरों को इस तरह रखना कि बाहर से कुछ पता न चले ये सब दिखाता है कि तस्करों के पास अब टेक्निकल नॉलेज और बड़े पैमाने पर नेटवर्क भी है।