Dengue in Madhya Pradesh । मध्य प्रदेश के 3 में संभागों मे डेंगू का अटेक हालत खराब..
अभी तक सितंबर में तीन डेंगू से पीड़ित व्यक्तियों (Dengue in Madhya Pradesh) की मृत्यु हो चुकी है
Dengue in Madhya Pradesh :मध्य प्रदेश के ग्वालियर रीवा और इंदौर संभाग के हालात बहुत अधिक चिंताजनक है वहां 45 दिनों तक डेंगू से बहुत ज्यादा खतरा रहेगा। मौसम विभाग का कहना है की बारिश बंद होने से मच्छरों की संख्या बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रही है इसी कारण से मध्य प्रदेश में डेंगू के मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है इसी के चलते सितंबर और अक्टूबर में और भी ज्यादा मरीज सामने आएंगे, इसके अलावा मध्य प्रदेश को नवंबर से डेंगू से कुछ राहत मिल सकती है
मध्य प्रदेश (Dengue in Madhya Pradesh) में डेंगू के मामले लगातार तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं जिनमें से कुछ आंकड़े जुलाई में लगभग 505 के सामने आए थे जो अगस्त में बढ़कर लगभग 950 के आसपास हो गए इसके अलावा सितंबर माह के पहले सप्ताह में मध्य प्रदेश में डेंगू से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या लगभग 600 हो गई।
मौसम खुलने से मच्छरों की संख्या में वृद्धि हुई है और इससे डेंगू के मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हुई है यह ऐसी बीमारी है जिससे सितंबर में तीन डेंगू से पीड़ित व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है जबकि एलाइजा रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं होने के कारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन्हें संदेहास्पद माना जा रहा है।
मध्य प्रदेश के किन-किन संभागों में फैल रहा है डेंगू
- चिकित्सा शिक्षा विभाग और लोक स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इस साल सबसे अधिक डेंगू के मामले इंदौर में देखने को मिल रहे हैं।
- इसके अलावा रीवा और ग्वालियर संभागों में सबसे अधिक डेंगू से पीड़ित व्यक्ति मिल चुके हैं जनवरी से लेकर अब तक लगभग 2800 केस सामने आ चुके हैं।
- रीवा और इंदौर में बीते साल इसी अवधि की तुलना में तीन गुना ज्यादा मामले देखने को मिले थे
- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया है। कि लगभग सभी जिलों मे एलाइजा जांच की सुविधा है लगभग 64 लैब में डेंगू की जांच की जा रही है।
सरकार रैपिड किट की जांच को नहीं मानती है
केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार रैपिड किट से जांच होने पर रोगी के संक्रमित पाए जाने के बाद भी उसे पीड़ित या डेंगू से संक्रमित नहीं माना जाता है । लोक स्वास्थ्य विभाग और नगरीय निकाय विभाग भी ऐसी पीड़ितों के घर के आसपास मच्छरों की रोकथाम की कार्रवाई करते हैं।
जो एलाइजा की जांच रिपोर्ट में संक्रमित पाए जाते हैं ना की रैपिड किट की जांच में अधिकांश प्राइवेट या निजी अस्पतालों में अधिकतर जांच रैपिड किट के माध्यम से की जाती है। जबकि रैपिड किट से जांच होने पर रोगी के संक्रमित पाए जाने के बाद भी सरकार उन्हें संक्रमित व्यक्तियों में शामिल नहीं करती है ।
अगर सरकार द्वारा रैपिड किट में संक्रमित आने वाले व्यक्तियों को भी इन मरीजों में शामिल कर लिया जाए तो मध्य प्रदेश में डेंगू मरीजों की संख्या सरकारी आंकड़ों से डेढ़ गुना हो जाएगी।
इसमें एक कमी यह भी है कि वायरस की संरचना में परिवर्तन की जांच के आधार पर आने वाले साल में मरीजों के बढ़ने का अनुमान भी स्वास्थ्य विभाग नहीं लग पा रहा है।
माह में संक्रमण घटने के कम आसार
डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ाने की सबसे बड़ी वजह है कि डेंगू का वायरस अपनी जेनेटिक संरचना में कुछ परिवर्तन कर लेता है । डेंगू के एक से लेकर चार तक चार प्रकार के वायरस होते हैं इनको भी प्रकार मिलते हैं और उनमें भी कई तरह से परिवर्तन आते रहते हैं ।
इसी के चलते किसी भी वर्ष यह बीमारी कभी घटती तो कभी बढ़ती रहती है इसका दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि बरसात में भी परिवर्तन होता रहता है यही कारण है जिसके चलते सितंबर माह में डेंगू के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं ।
इसके अलावा सितंबर माह में जो मच्छर जन्म लेते हैं वह अक्टूबर माह तक व्यक्तियों को संक्रमित करते हैं यही कारण है की अक्टूबर माह में भी संक्रमण घटना के बहुत कम आसार है स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नवंबर माह में डेंगू से पीड़ित मरीजों की संख्या में कमी आएगी।