AIIMS Bhopal: बच्चों को मिलेगी नई जिंदगी ब्लड कैंसर के इलाज में एम्स भोपाल की बड़ी उपलब्धि
एम्स भोपाल ने किया देश का दूसरा सफल हापलो-आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट।

AIIMS Bhopal: आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि एम्स भोपाल में बच्चों के ब्लड कैंसर के इलाज की बड़ी उपलब्धि हासिल कर लिए जी हां बताया जा रहा है कि संस्था ने हाल ही में एक साथ साल की बच्ची का सफल हाफ को आईडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया है।
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जी हां बताया जा रहा है कि जो रिलैक्स्ड एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया से पीड़ित थी बताया जा रहा है कि यहां बच्ची का सफल इलाज कर नई जिंदगी मिल गई है।
भाई को चुना डोनर के रूप में
आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं की बच्ची का इलाज एम्स अस्पताल के बाल्य ऑंकोलॉजी विभाग के डॉक्टर नरेंद्र चौधरी की देखरेख में यह सफल रहा है बताया जा रहा है कि ट्रांसप्लांट के लिए मरीज के भाई को दाता के रूप में चुना गया था।
जो की यादें एच एल ए में मेल खाते थे एम्स के हेमेटोलॉजी विभाग ने डॉक्टर गौरव ढींगरा ने बताया है कि यह सामान्य मूल मेरो ट्रांसप्लांट के कई गुना ज्यादा जटिल प्रक्रिया है जो की एक तरफ मैच द बोन मैरो ट्रांसप्लांट के 12 के 12 जॉन दाता और रिसीव में मेल खाते हैं। जिसमें भी सफलता दर 60 फ़ीसदी रहती है।
जाने कैसे हुआ प्रत्यारोपण
आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं की सबसे पहले पीड़ित बच्चों के भाई के इस टाइम पर से निकल गए इसके बाद में बच्चे का फुल बॉडी रेडिएशन दिया गया इसके बाद में बॉडी इन्फेक्शन मुक्त और इम्यूनिटी को बेहतर काम हो जाए ।
जिसके रिसीवर को बॉडी दाता से आए स्टांप मेरो को खत्म नहीं कर पाती है और उसी के साथ में यहां भी ध्यान दिया जाता है कि डोना करके इस टाइम सिल रिसीव के सेल को करने का कार्य न करें यह बहुत ही बेहद बहु स्तरीय प्रक्रिया है।
रक्त कैंसर की इलाज में नई उम्मीद
आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि यह आंसर भोपाल में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल किया है यह जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने में स्पष्ट होता है कि हमारे संस्थान में उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है और यहां बच्चों में रक्त कैंसर के इलाज में नई उम्मीद जाग रहा है।
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