Mp Big News : कलेक्टर दीपक सक्सेना की बड़ी कार्रवाई, 30 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश 74 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
30 करोड़ 14 लाख रुपये की कीमत वाली 1 लाख 31 हजार 052 क्विंटल धान की हेराफेरी का मामला सामने आया है। प्रशासन ने 74 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।

- कलेक्टर दीपक सक्सेना ने 30 करोड़ के धान घोटाले का खुलासा किया।
- 74 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज, जिसमें कर्मचारी, मिलर्स और दलाल शामिल हैं।
- जांच में कई अधिकारियों और कर्मचारियों की सांठगांठ का मामला सामने आया।
Mp Big News : मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर हुए धान घोटाले को लेकर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने एक बड़ी कार्रवाई की है। इस घोटाले में करीब 30 करोड़ रुपये से ज्यादा की धान की हेराफेरी हुई है, जिसमें कई अधिकारी, कर्मचारी और राइस मिलर्स शामिल हैं। यह सब कुछ फर्जी रिलीज आर्डर के माध्यम से हुआ।
फर्जीवाड़े की पूरी साजिश का खुलासा
घोटाले का मुख्य केंद्र मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन से जुड़े कर्मचारियों का था, जिन्होंने मिलर्स और सोसाइटी प्रबंधकों के साथ मिलकर कागजों पर धान चढ़ाई और उसे परिवहन किया। यह धान असल में नहीं थी, लेकिन कागजों पर यह धान खरीदी गई थी। करीब 30 करोड़ रुपये की धान में से लगभग 14 करोड़ रुपये की धान जबलपुर में बेच दी गई, जबकि बाकी 16 करोड़ की धान को ऑनलाइन पोर्टल पर चढ़ाया गया।
ध्यान देने योग्य तथ्य
घोटाले में शामिल मिलर्स ने ग्वालियर, उज्जैन, मुरैना, मंडला, मनेरी आदि स्थानों से धान उठाने की बजाय स्थानीय दलालों को बेची। इन दलालों ने कागजों पर ट्रक से धान का फर्जी परिवहन दिखाया, लेकिन जब इन ट्रकों का टोल नाकों से मूवमेंट चेक किया गया, तो कोई रिकार्ड नहीं मिला। कई ट्रकों के रजिस्ट्रेशन नंबर की जांच की गई, तो पता चला कि यह ट्रक नहीं बल्कि कारों के थे।
जांच समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई
अपर कलेक्टर नाथूराम गोंड की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय जांच समिति ने इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया। जांच में यह सामने आया कि फर्जी वाहन और ट्रक के रजिस्ट्रेशन नंबर का इस्तेमाल किया गया। परिवहन विभाग की मदद से इन ट्रकों का रूट और लोडिंग क्षमता चेक की गई, और पाया गया कि यह ट्रक वास्तविकता में उस मार्ग से कभी नहीं गुजरे।
सांठगांठ का खुलासा
जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि 17 मिलर्स ने धान का परिवहन करने की बजाय उसे जबलपुर के बाजार में ही बेच दिया। इस काम में मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन के अधिकारी, कंप्यूटर ऑपरेटर और केंद्र प्रभारी सहित कई अन्य कर्मचारी भी शामिल थे।
कर्मचारियों और मिलर्स का सांठगांठ
जबलपुर की 25 सोसायटियों ने भी इस घोटाले में भाग लिया। इन सोसायटियों ने मिलकर फर्जी तरीके से धान का परिवहन दिखाया और कागजों पर इसे ऑनलाइन पोर्टल पर चढ़ाया। इन अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर स्थानीय दलालों ने इस घोटाले को अंजाम दिया। सोसाइटी प्रबंधक, मिलर्स और अन्य कर्मचारियों के बीच इस खेल में एक कमीशन भी तय किया गया, जिसके बदले उन्हें प्रति बोरा धान पर लगभग एक हजार रुपये का कमीशन मिला।
फरार हुए आरोपी
घोटाले का खुलासा होते ही आरोपियों ने अपने मोबाइल बंद कर लिए और फरार हो गए। प्रशासन ने कार्रवाई की गति बढ़ाते हुए इन सभी पर शिकंजा कसने की प्रक्रिया तेज कर दी है। अभी तक 74 व्यक्तियों के खिलाफ 12 थानों में एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, और आगे की जांच जारी है।
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