मध्यप्रदेश में पुलिस मे बड़ा बदलाव : अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परंपरा का अंत,जानिए वजह 

यह कदम भारत में Colonial Mentality को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

Big change in police in MP : मध्यप्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही “पुलिस सलामी परंपरा” को खत्म कर दिया है। अब राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के लिए सलामी परेड नहीं होगी।

इस निर्णय को लेकर प्रदेश में चर्चाएं तेज हो गई हैं, क्योंकि यह कदम भारत में Colonial Mentality को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

पुलिस सलामी परेड क्यों हुई खत्म?

जानकारी के अनुसार प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक (एसडीजी) शैलेश सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए कहा कि सलामी प्रथा एक शक्ति द्वारा एक सहयोगी क्षेत्र या लोगों पर नियंत्रण की याद दिलाती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रथा न केवल असंवैधानिक है, बल्कि मान्यता के प्रतीक के रूप में भी देखी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस एक अनुशासित विभाग है और इसमें किसी भी तरह की पुरानी परंपरा जो अब संगत नहीं है, उसे समाप्त करना जरूरी है।

ऐतिहासिक परंपरा का अंत

मध्यप्रदेश में पुलिस की सलामी परंपरा लंबे समय से चली आ रही थी। हर बार मुख्यमंत्री या मंत्री के आगमन पर पुलिस विभाग की तरफ से उन्हें सलामी दी जाती थी। यह परंपरा ब्रिटिश शासन काल से जुड़ी थी, जब अधिकारियों और शासकों को सम्मान देने के लिए ऐसी व्यवस्थाएं बनाई गई थीं।

लेकिन, बदलते समय और लोकतांत्रिक मूल्यों के तहत, इस प्रकार की परंपराओं को खत्म करना जरूरी हो गया है। पुलिस विभाग का यह निर्णय इस दिशा में एक नया कदम माना जा रहा है।

आदेश के मुख्य बिंदु

1.मुख्यमंत्री और मंत्रियों के लिए समाप्त हुई सलामी परेड:- पुलिस विभाग द्वारा अब प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के लिए सलामी परेड की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है।

  1. राज्यपाल को मिलेगी सलामी:- हालांकि, राज्य के राज्यपाल के लिए सलामी परेड की परंपरा पहले की तरह जारी रहेगी।
  2. ड्यूटी का सही उपयोग:-आदेश में यह भी कहा गया है कि सलामी परेड के कारण पुलिस कर्मचारियों की ड्यूटी पर प्रभाव पड़ता है। इसे खत्म करने से पुलिस का समय और संसाधन ज्यादा प्रभावी ढंग से उपयोग में लाया जा सकेगा।

जानिए इसके फ़ायदे

  1. पुलिस कर्मियों का समय बचेगा, जिसे अन्य सुरक्षा कार्यों में लगाया जा सकता है।
  2. यह निर्णय आधुनिक और लोकतांत्रिक सोच को दर्शाता है।

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Alok Singh

मेरा नाम आलोक सिंह है मैं भगवान नरसिंह की नगरी नरसिंहपुर से हूं ।और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में आया था ।मुझे पत्रकारिता मैं इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया का 20 वर्ष का अनुभव है खबरों को प्रमाणिकता के साथ लिखने के हुनर में माहिर हूं।

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