Big Decision of MP High Court : HC ने डिजिटल अरेस्ट को गंभीर अपराध माना,आरोपी की जमानत याचिका की निरस्त
इस मामले में आरोपी के खिलाफ आरोप है कि उसने डिजिटल अरेस्ट का उपयोग करके पीड़ितों से पेसे वसूला किए थे। और इस राशि को दुबई सहित अन्य देशों में भेजा गया था।

- क्या है डिजिटल अरेस्ट का मामला ?
- सरकारी की तरफ से दलील
- यह था पूरा मामला
- हाई कोर्ट का फैसला?
Big Decision of MP High Court : मध्यप्रदेश जबलपुर हाई कोर्ट (HC) ने डिजिटल अरेस्ट को गंभीर अपराध माना है। और एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायालय ने आरोपी की जमानत को खारिज कर दिया है।इसके साथ ही साइबर अपराधों की गंभीरता पर अपनी चिंता जताई है।
इस मामले में आरोपी के खिलाफ आरोप है कि उसने डिजिटल अरेस्ट का उपयोग करके पीड़ितों से पेसे वसूला किए थे। और इस राशि को दुबई सहित अन्य देशों में भेजा गया था।
क्या है डिजिटल अरेस्ट का मामला ?
अरेस्ट एक नए प्रकार का साइबर अपराध है।जिसमें आरोपी डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके लोगों को धोखा देता है।और उन्हें ठगता है उन्हें गिरफ्तार करने की आड़ में बेवकूफ बनाता रहता है।
आरोपी द्वारा किसी के व्यक्तिगत डेटा का खातों तक पहुंचाना।और पैसे उधार या छीन लिए जाते हैं। इस प्रकार के अपराध से पीड़ितों को न केवल मानसिक तनाव होता है बल्कि धन का भी नुकसान होता है।
यह था पूरा मामला
केरल में रहने वाली आरोपी अब्दुल रहमान ने जबलपुर में एक मामले में अपना केस दर्ज कराया था।लेकिन हाई कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। न्यायालय ने इस प्रकार के अपराध को गंभीर मानते हुए कहा है कि डिजिटल अरेस्ट की राशि विदेशी देशों विशेष रूप से दुबई में भेजे जा रही थी।जो इस अपराध को गंभीरता की ओर बढ़ा रहा है।
सरकारी की तरफ से दलील
सरकार की तरफ से दलील पेश गई और यह बताया गया है कि अब तक मध्य प्रदेश में 13 मुकदमे दर्ज किए गए हैं।जिनमें साइबर अरेस्ट के मामले शामिल है।और इन मामलों में अब तक लगभग 3 करोड़ 43 लाख 45 हजार 22 रुपया की धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं।
सरकार ने अपनी बात रखी है कि आरोपी और सह आरोपी के खिलाफ और भी कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जिनकी जानकारी इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रस्तुत की जाएगी।
यह था आरोपी का जुर्म
अब्दुल रहमान पर आरोप है कि उसने डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से पीड़ितों से पैसे वसूले किए है।और इन पैसों को देश के बाहर भी भेजा है।अपराधी के पास न केवल डिजीटल जानकारी है।बल्कि वह अपराध को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने की भी कोशिश कर रहा था।
हाई कोर्ट का फैसला?
हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है आरोपी की जमानत याचिका को निरस्त करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी सिंह केवल पीड़ितों को नुकसान होता है बल्कि यह डिजिटल अरेस्ट अर्थव्यवस्था और कानून व्यवस्था के लिए भी एक तरा हो गया है
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