आरटीओ घोटाले के मास्टरमाइंड सौरभ शर्मा की गिरफ्तारी पर कांग्रेस ने उठाए गंभीर सवाल जानिए
सौरभ शर्मा का नाम उसे समय चर्चा में आया था जब उसने परिवहन विभाग में काली कमाई से अरबो रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया था

- सौरभ शर्मा की गिरफ्तारी में उठे सवाल
- कांग्रेस के आरोप और जांच एजेंसियों पर सन्नाटा
- सौरभ शर्मा की गिरफ़्तारी,क्या ये पूरी कहानी का अंत है?
- क्या सौरभ शर्मा के काले कारोबार का पर्दाफाश होगा?
Saurabh Sharma News : मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग से जुड़े एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो गया है।जिसमें पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा को मुख्य आरोपी के रूप में गिरफ्तार कर लिया गया है।इस मामले में लोकायुक्त ने उसे उसके ,सहयोगी चेतन गौर और शरद जायसवाल को भोपाल कोर्ट के बाहर ही गिरफ्तार कर लिया है।
यह गिरफ्तारी ऐसे समय में की गई है। जब सौरभ शर्मा खुद कोर्ट में सरेंडर करने आए थे।लेकिन उसके बाद जो घटनाएं सामने आई उन्होंने जांच एजेंसियों और सरकार के प्रति कई सवाल उठा दिए हैं।
सौरभ शर्मा का नाम उसे समय चर्चा में आया था जब उसने परिवहन विभाग में काली कमाई से अरबो रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया था यह घोटाला आरटीओ से संबंधित था जहां उसने अवैध तरीके से रिश्वत लेकर ट्रांसपोर्ट लाइसेंस ,परमिट और फिटनेस, सर्टिफिकेट जैसे जरूरी दस्तावेज जारी कर दिए थे सौरभ शर्मा ने इस घोटाले के माध्यम से लाखों रुपए कमाए हैं और अब वह लोकायुक्त पुलिस की पकड़ में है।
सौरभ शर्मा की गिरफ्तारी में उठे सवाल
को जब भोपाल जिला कोर्ट में सरेंडर करने के लिए लाया गया था तब कैसे से संबंधित डायरी नहीं थी। और कोर्ट ने उसे अगले दिन आने को कहा था।कोर्ट से बाहर निकलकर वह कहीं चला गया था अगले 24 घंटे में यह सवाल खड़े हो गए कि वह कहां था ।
क्योंकि मीडिया में उसकी गिरफ्तारी की खबरें आने के बावजूद न तो पुलिस और ना ही किसी जांच एजेंसी ने उसे पकड़ा था। इस दौरान सौरभ की लोकेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं है।कांग्रेसी और विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सरकार से कई सवाल पूछे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव ने इस मुद्दे पर कुछ सवाल उठाए हैं।उन्होंने राज्य सरकार और जांच एजेंटीयों पर गंभीर आरोप लगाते हुए पूछा है कि सौरभ शर्मा के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया था ।इसके बाद भी जांच एजेंसियों को यह क्यों नहीं पता चला कि वह प्रदेश में कहां रुका हुआ है ।
यादव ने यह भी पूछा कि सौरभ शर्मा के 24 घंटे तक भोपाल में होने के बावजूद जांच एजेंसियां सोई हुई थी क्या जो उसे पकड़ नहीं पाई? उन्होंने यह भी सवाल किए हैं कि क्या सौरव को संरक्षण देने का काम वर्तमान मंत्रिमंडल के किसी सदस्य ने किया था?
कांग्रेस के आरोप से जांच एजेंसियों पर सन्नाटा
अरुण यादव ने सौरव शर्मा से होने वाली पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिंग सार्वजनिक करने के लिए कहा है।उनका कहना था कि यदि इस मामले में सब कुछ पारदर्शी होता है।तो वीडियो रिकॉर्डिंग पहले ही सार्वजनिक होनी चाहिए थी। लेकिन लोकायुक्त पुलिस ने पूछताछ की वीडियो ग्राफी करने से इनकार दिया है।जिससे इस मामले में और भी रहस्य गहरे होते जा रहे हैं।
सौरभ शर्मा के वकील राकेश पराशर ने इस गिरफ्तारी और पूछताछ के तरीके को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कोर्ट में एक आवेदन दिया है जिसमें उन्होंने यह मांग की है कि सौरभ से होने वाली पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए और उनकी तीन कॉपी तैयार की जाए एक वकील के पास जाएगी।
एक कोर्ट के पास जाएगी।और एक लोकायुक्त पुलिस के पास रहेगी बाकी ने यही भी आरोप लगाया है कि सौरभ की जान को खतरा हो सकता है। और उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह से संवैधानिक तरीके से की गई थी।
सौरभ शर्मा से करीब 5 घंटे तक पूछताछ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा से करीब 5 घंटे तक पूछताछ की है। लेकिन इस दौरान उसकी जान को खतरा की आशंका बनी हुई है।सौरभ के वकील राकेश पराशर नहीं यह चिंता जताई है। कि सौरव से जबरदस्ती बयान लेने के दौरान उनकी जान को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
यह सवाल भी उठाते हैं कि मीडिया में सौरभ शर्मा के सुरेंद्र की खबर आने के बावजूद पुलिस ने उसे क्यों नहीं पड़ा था।और जांच एजेंसियां उसकी गतिविधियों पर नजर क्यों नहीं रखे हुए थी।कांग्रेस ने इसे लेकर एक बार फिर सरकार और जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह सवाल कुछ सूची समझी साजिश हो सकती है या फिर अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है।
क्या सौरभ शर्मा के काले कारोबार का पर्दाफाश होगा?
के खिलाफ इस जांच में अब देखना यह है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद उसका काला कारोबार पूरी तरह से सामने आ सकता है। या नहीं इस घोटाले में कौन-कौन शामिल है। इसके खुला से होंगे या नहीं उसके साथियों और अधिकारियों की भूमिका हो सकती है। जांच एजेंसियों को अभी है सुनिश्चित करना होगा। कि इस मामले में किसी भी प्रकार की साजिश से अब भ्रष्टाचार को सामने लाया जाएगा।
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विपक्षी दलों का आरोप है कि सौरभ शर्मा को बचाने के प्रयास किए जा रहा है। और यही कारण है कि उसे इतनी आसानी से पकड़ने में असफलता जताई गई है। जांच एजेंसियों के कामकाज पर उठते सवाल यह संकेत देते हैं कि कहीं न कहीं सरकारी तंत्र में कोई बड़ी कमी जरूर है।
सौरभ शर्मा की गिरफ़्तारी,क्या ये पूरी कहानी का अंत है?
अब सवाल यह है खड़े होते हैं कि क्या सौरभ शर्मा की गिरफ्तारी से इस घोटाले का पर्दाफाश किया जाएगा। क्या लोकायुक्त पुलिस इस मामले को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से इसकी सत्यता की जांच करेगी? या फिर इसमें कोई बड़े राज को छुपा लिया जाएगा।इन सब सवालों के जवाब समय आने पर ही दिए जाएंगे।
लेकिन फिलहाल कांग्रेस के विपक्षी दलों द्वारा सवाल खड़े किए जा रहे हैं।जो जांच एजेंसी के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी। आखिर में हम यही कह सकते हैं कि सौरव शर्मा की गिरफ्तारी एक महत्वपूर्ण मोड़ है।लेकिन इस घोटाले की पूरी सच्चाई को सामने लाने के लिए कई और कदम उठाने की आवश्यकता होगी।
सरकार और जांच एजेंसी की पारदर्शिता पर एक बड़ा मुद्दा बन गया है। और भविष्य में इसके परिणाम किस दिशा में जाएंगे। यह अभी किसी को पता नहीं है यह देखने की बात होगी।