राइट टू एजुकेशन की भुगतान राशि रिलीज करने के अबज मे 1000 हजार की मांग 4000 रुपये की रिश्वत लेते पकड़े गए शिक्षा विभाग के बाबू और स्कूल टीचर
राजगढ़ जिले के सारंगपुर में शिक्षा विभाग के बाबू हेमंत दांगी और एक प्राइवेट स्कूल के शिक्षक रमेश चंद्र नागर का रिश्वतखोरी का मामला उजागर हुआ।

Disclosure of bribery: मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त की कार्रवाई का सिलसिला लगातार जारी है, और ताजा मामला राजगढ़ जिले का सामने आया है। यहां शिक्षा विभाग के एक बाबू और एक निजी स्कूल के शिक्षक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। यह कार्रवाई लोकायुक्त की टीम ने मंगलवार को की, जब बीआरसी के बाबू हेमंत दांगी और एक प्राइवेट स्कूल के शिक्षक रमेश चंद्र नागर को 4,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
यह था मामला?
राजगढ़ जिले के सारंगपुर में शिक्षा विभाग के बाबू हेमंत दांगी और एक प्राइवेट स्कूल के शिक्षक रमेश चंद्र नागर का रिश्वतखोरी का मामला उजागर हुआ। बीआरसी के बाबू हेमंत दांगी ने भोपाल में स्थित एक निजी स्कूल के संचालक सूरज सिंह तोमर से आरटीई (राइट टू एजुकेशन) की राशि के एवज में 10,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। यह राशि गरीब बच्चों के एडमिशन के लिए शासन से भुगतान किया जाता है, जिसे बीआरसी और डीपीसी के माध्यम से जारी किया जाता है।
शिकायतकर्ता स्कूल संचालक सूरज सिंह तोमर ने इस भ्रष्टाचार के बारे में लोकायुक्त को जानकारी दी, और शिकायत की जांच में मामला सही पाया गया। इसके बाद लोकायुक्त ने योजना बनाकर 4,000 रुपये की रिश्वत की पहली किस्त के साथ बाबू हेमंत दांगी को पकड़ने का निर्णय लिया।
लोकायुक्त की सफल कार्रवाई
मंगलवार को सूरज सिंह तोमर को 4,000 रुपये की रिश्वत लेकर लोकायुक्त की टीम ने बाबू हेमंत दांगी के पास भेजा। जैसे ही उन्होंने बाबू को यह राशि दी, हेमंत ने इसे प्राइवेट स्कूल के शिक्षक रमेश चंद्र नागर को सौंप दिया। दोनों को रिश्वत के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। लोकायुक्त की टीम ने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए इन दोनों को गिरफ्तार किया और रिश्वतखोरी का भंडाफोड़ किया।
लोकायुक्त की इस सफलता को लेकर इंस्पेक्टर रेणु तिवारी ने बताया कि आरटीई के तहत गरीब परिवारों के बच्चों का एडमिशन किया जाता है, और इस प्रक्रिया में बीआरसी और डीपीसी के माध्यम से स्कूल संचालकों को भुगतान किया जाता है। हेमंत दांगी और रमेश चंद्र नागर ने इसी प्रक्रिया के तहत रिश्वत मांगी थी, जिसे लोकायुक्त ने पकड़ा।
मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की सक्रियता
लोकायुक्त के इस कदम से यह संदेश जाता है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीर है और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। हाल ही में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लोकायुक्त द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की गिरफ्तारी से यह साबित हो रहा है कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं।
निष्कर्ष
राजगढ़ जिले में शिक्षा विभाग के बाबू और स्कूल टीचर की गिरफ्तारी से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त की कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। यह घटनाएं न केवल भ्रष्ट अधिकारियों के लिए चेतावनी हैं, बल्कि यह आम जनता के बीच जागरूकता फैलाने का भी एक महत्वपूर्ण कदम हैं।