How To Protect Crops From Cold : पाले और ठंड से किसान अपनी फसल को कैसे बचाए, जारी हुई एडवाइजरी

पाले से खेत में लगी फसल पर जल के कण ठोस बर्फ में तब्दील हो जाते हैं। इससे बचाव के कई उपाय हैं, जिससे नुकसान से बचा जा सकता है।

  •  होता है पाला ?
  • पाले से फसलों का  बचाव
  • ठंड का सबसे ज्यादा असर फसलों पर

How To Protect Crops From Cold : मौसम विज्ञान केन्द्र भोपाल की जानकारी के अनुसार शीतलहर के कारण पौधे की पत्तियां व फूल झुलसते, बाद में झड़ जाते हैं। ठंड का सबसे ज्यादा असर दलहनी-तिलहनी, धनिया, मटर व आलू की फसलों पर पड़ता है। फसलों में ठंड में पाला लग जाता है।ठंड के मौसम में पाला गिरने के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।पाले से खेत में लगी फसल पर जल के कण ठोस बर्फ में तब्दील हो जाते हैं। इससे बचाव के कई उपाय हैं, जिससे नुकसान से बचा जा सकता है।

क्या होता है पाला ?

शीत लहर के चलते वायुमंडल में उपस्थित जल वाष्प जब पेड़ पौधों की पत्तियों अथवा किसी ठोस पदार्थ के सम्पर्क में आती है।जिनका तापमान 0°सेल्सियस अथवा इससे नीचे है।तो यह बर्फ की चादर के रूप में जमने लग जाती है। यह पाला कहलाती है।

दिसम्बर व जनवरी में रात के समय तापमान 4-5 डिग्री या इससे कम होता है। पौधों की पत्तियों पर पाले का प्रकोप रात 12 से सुबह 4 बजे के पहर पर होता है। पाले से प्रभावित फसल व पौधों की पत्तियों पर पानी की बूंद जमा हो जाती है, पत्तियों की कोशिका भित्ती फट जाती है।जिससे पत्तियां सूखकर झड़ने लगती हैं।

पाला कहा बनता है।

पाला जल वाष्प या गैस के रूप में पानी है, जो ठोस हो जाता है। पाला आमतौर पर कारों, खिड़कियों और पौधों जैसी वस्तुओं पर बनता है जो बाहर हवा में संतृप्त या नमी से भरे होते हैं। जिन क्षेत्रों में बहुत अधिक कोहरा होता है, वहां अक्सर भारी पाला पड़ता है। पाला तब बनता है जब बाहरी सतह ओस बिंदु से अधिक ठंडी हो जाती है।

How To Protect Crops From Cold (1)
How To Protect Crops From Cold (1)

पाले से फसलों का  बचाव

गंधक के तेजाब का छिड़काव करके

फसल में जब पाला पड़ने की आशकां हो तो पाले की आशंका वाले दिन फसल पर व्यावसायिक गधंक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें। इस प्रकार इसके छिड़काव से फसल के आसपास के वातावरण में तापमान बढ़ जाता है।और तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता है।इससे पाले से होने वाले नुकसान से पफसल को बचाया जा सकता है।

पौधों को ढककर रखें

पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। इससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं। लेकिन यह महंगी तकनीक है। गांव में पुआल का इस्तेमाल पौधों को ढकने के लिए किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रहे। ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे।

वायुरोधक द्वारा

पाले से बचाव के लिए खेत के चारों ओर मेड़ पर पेड़-झाड़ियों की बाड़ लगा दी जाती है। इससे शीतलहर द्वारा होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। अगर खेत के चारों ओर मेड़ पर पेड़ों की कतार लगाना संभव न हो तो कम से कम उत्तर-पश्चिम दिशा में जरूर पेड़ की कतार लगानी चाहिये।

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जो अधिकार इसी दिशा में आने वाली शीतलहर को रोकने का काम करेगी। पेड़ों की कतार की ऊंचाई जितनी अधिक होगी शीतलहर से सुरक्षा उसी के अनुपात में बढ़ती जाती है और यह सुरक्षा चार गुना दूरी तक होती जिधर से शीतलहर आ रही है। पेड़ की ऊंचाई के 25-30 गुना दूरी तक जिधर शीतलहर की हवा जा रही है। फसल सुरक्षित रहती है।

प्लास्टिक क्लोच का प्रयोग द्वारा

पपीता व आम के छोटे पेड़ को प्लास्टिक से बनी क्लोच से बचाया जा सकता है। इस तरह का प्रयोग हमारे देश में प्रचलित नहीं है। परन्तु हम खुद ही प्लास्टिक की क्लोच बनाकर इसका प्रयोग पौधों को पाले से बचाने के लिए कर सकते हैं। क्लोच से पौधों को ढकने पर अंदर का तापमान तो बढ़ता ही है साथ में पौधे की बढ़वार में भी मदद करता है।

खेतों की सिंचाई करके पाला से बचाव

जब भी पाला पड़ने की आशंका हो या मौसम विभाग द्वारा पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिये। इससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और पफसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। जहां पर सिंचाई पफव्वारा विधि द्वारा की जाती है।

वहां यह ध्यान रखने की बात है कि सुबह 4 बजे तक अगर फव्वारे चलाकर बंद कर देते हैं तो सूर्योदय से पहले फसल पर बूंदों के रूप में उपस्थित पानी जम जाता है और फायदे की अपेक्षा नुकसान अधिक हो जाता है। अतः स्प्रिंक्लर को जल्दी प्रातःकाल से सूर्योदय तक लगातार चलाकर पाले से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

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Rahul Srivastava

मेरा नाम राहुल श्रीवास्तव है मैं नरसिंहपुर जिले से हूं ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद कुछ समय मैं अखबारों में कंप्यूटर ऑपरेटर के साथ-साथ समाचार लेखन का काम भी किया और अब समाचार लेखन का काम की नई शुरुआत कर रहा हूं मेरे द्वारा लिखे गए कंटेंट पूर्णता सत्य होंगे और आपको यह कंटेंट अच्छे लगेंगे।

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