8 स्कूलों पर प्रशासन की कार्यवाही, मिलेंगे अभिभावकों को 54 करोड रुपए
निजी स्कूलों पर दो-दो लाख रुपए का(Jabalpur 8 Private Schools) जुर्माना उसी के साथ में 54 करोड रुपए की अतिरिक्त शुक्ल का अभिभावकों को वापस करने के दिशा निर्देश
Jabalpur 8 Private Schools: आपको इसकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि यह खबर जबलपुर से सामने आ रही है जिसमें शिक्षा के नाम पर व्यापार करने वाले जबलपुर के नीचे स्कूलों पर प्रशासन ने कार्यवाही की है जिसमें यह कार्यवाही के बाद में जिलों के आठ नाम चिन्ह स्कूल सामने आए हैं और यह प्रशासन कार्यवाही करते हुए सभी निजी स्कूलों पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया गया है।
जी हां और उसी के साथ में 54 करोड रुपए की अतिरिक्त शुक्ल का अभिभावकों को वापस करने के दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं जो बच्चों को वापस की जाए स्कूलों में गैर कानूनी तरीके से यहां फीस को वसूला गया है और उसके लिए हर स्कूल पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगा है जबलपुर में यह तरह की कार्यवाही पहले भी हो चुकी है और यह जिन आठ स्कूलों के खिलाफ में जुर्माना लगाया हुआ है। उसकी जानकारी आपको नीचे दी जा रही है।
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आपको इसकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि यह कार्यवाही को एमपी नीचे विद्यालय फीस तथा अन्य विषयों के विनिमय अधिनियम 2017 के अंतर्गत की गई थी और उसके पहले भी प्रशासन ने अपने स्तर पर जांच को किया गया था जिसके जांच में यह सामने आया था कि जिले में चलने वाले यहां आठ नीचे स्कूल मनमाने अपने तरीके से अभिभावकों से फीस को वसूली कर रहे हैं।
जी हां और यह सूचना जिला प्रशासन को दी गई थी और ना ही शिक्षा समिति को इसकी कोई खबर थी उसके बाद में प्रशासन ने यहां आठ स्कूलों पर शैक्षणिक क्षेत्र में की गई फीस की बढ़ोतरी की जांच की और इसके बाद हुई फीस स्ट्रक्चर को वैध घोषित कर दिया गया।
जाने कौन से 8 स्कूल
- माउंट लीटर स्कूल जबलपुर
- विजडम वैली स्कूल शास्त्री नगर
- स्प्रिंग डे स्कूल अधारताल
- अजय सत्य प्रकाश स्कूल पनागर
- सत्य प्रकाश स्कूल पॉलीटर पॉलीपेटर
- क्राइस्ट चर्च जबलपुर
- सेंटर एलिस पनागर
- सेंट जोसेफ ट्रॉपिकल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट
जारी किया प्रशासन ने निर्देश
आपको इसकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि यह जांच के बाद में प्रशासन ने सभी 8 स्कूलों पर निर्देशित जारी भी कर दिए गए हैं प्रशासन में इस सख्त कदम को उठाया और जिले के सभी 8 स्कूलों के मालिकों को निर्देश जारी कर दिए गए कि वह जमाने के तौर पर दो-दो लाख रुपए की रकम को 30 दिन के अंदर लोक शिक्षण संचनालय में उच्च न्यायालय के खाते में जमा कर दे।
और यह जांच के बाद में यह खुलासा हुआ कि यह आठ नीचे स्कूल के तरफ से 74000 से ज्यादा विद्यार्थी से यहां 54 करोड़ से ज्यादा की फीस को वसूल किया गया है। और यह प्रशासन ने यहां रकम को अभिभावकों को वापस करने का निर्देश भी जारी किया।
कार्यवाही से मचा बवाल बवाल
आपको इसकी जानकारी के लिए यह प्रशासन ने कार्यवाही से यह 8 स्कूलों के मालिकों में एक बार फिर से बवाल मच चुका है और उसके पहले यहां जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जिले में मनमानी फीस वसूलने पर निजी स्कूलों के खिलाफ में कार्यवाही भी की थी तब एक दर्जन से ज्यादा स्कूल के प्रिंसिपल तथा उनके मालिकों के खिलाफ में फिर को दर्ज करके उन्हें जेल गिरफ्तार कर लिया गया था।
जिसमें कुछ सालों से जबलपुर के यहां संगठित की रहो बनाकर अभिभावकों से मनमानी फीस के नाम पर अरबो रुपए वसूल रहे हैं और यहां प्रशासन ने आंकड़ा लगभग से 200 करोड़ के पर बताया हुआ है।
हाई कोर्ट में लंबित मामला
आपको इसकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि यहां इससे पहले भी जबलपुर जिला समिति ने शहर के अलग-अलग स्कूलों से फीस का फीस को तय भी कर लिया गया था और उसे अतिरिक्त फीस वापस करने के आदेश भी दे दिए गए थे।
इस मामले में स्कूल प्रबंधकों ने हाई कोर्ट से अपील भी की गई थी और इसका मामला हाई कोर्ट में फिलहाल चल रहा है उसके पहले ही गैरकानूनी तरीके से पुस्तकों और ड्रेस मटेरियल में शॉर्टकट के आप से भी शिक्षकों को जेल भी भेज दिया गया था और कुछ लोगों को जमानत मिल गई और कुछ अभी भी जेल में बंद ही है।
स्कूलों की फीस निर्धारित
आपको इसकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि यह जिला शिक्षा समिति ने यह सभी स्कूलों की फीस को निर्धारित कर दिया गया था जिसमें स्कूलों के द्वारा ली जा रही यह फीस तथा जिला समिति के द्वारा ली जा रही फीस में हर क्लास के हर साल लगभग से ₹100000 तक का फर्क है जिसमें जबलपुर के कलेक्टर ने स्पष्ट कर दिया था कि अगर नीचे स्कूल फीस को बढ़ा रहा है।
तो उसका कोई वाजिब वजह उसे बताना पड़ेगा और स्कूल में फैसिलिटी बढ़ाई जाती है तो या कोई और दूसरे स्कूल दूसरे जायज खर्चे हैं या पैसा खर्च किया जा रहा है तो स्कूल अपनी फीस को बढ़ा सकता है इन सभी स्कूलों की ऑडिट रिपोर्टर रिपोर्ट में जिला प्रशासन में पाया किया है। स्कूल फीस बढ़ाने के पीछे कोई भी वजह नहीं है यह स्कूलों के नाम पर व्यापार हो रहा था।