मध्य प्रदेश को एक और टाइगर रिजर्व की सौगात दिखेंगे प्रकृति के अनूठे नजारे
माधव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1958 में मध्य प्रदेश के राज्य बनने के साथ ही की गई थी

Madhav National Park: जानकारी के लिए बता देते हैं कि टाइगर स्टेट कैसे जाने वाले मध्य प्रदेश को और एक टाइगर रिजर्व की सौगात मिल गई है जी हां बताया जा रहा है कि अब मध्य प्रदेश में 8 टाइगर रिजर्व हो चुके हैं जिसमें शिवपुरी जिले के माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है।
जी हां आपको बता देते हैं कि यह राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की तकनीकी समिति ने माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित करने के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी गई है बताया जा रहा है कि यह मध्य प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व रहेगा और यह वाइल्ड लाइफ के वनरक्षक ने बताया है।
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यह तकनीकी समिति ने प्रस्तावित विभाग अभ्यारण को कर क्षेत्र 375 वर्ग किलोमीटर बफर क्षेत्र 1276 वर्ग मीटर और कुल क्षेत्रफल 1751 वर्ग किलोमीटर का रहेगा।
मुख्यमंत्री ने भेजा प्रस्ताव
आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि यह समिति ने इस राष्ट्रीय उद्यान में एक नर और एक मादा भाग को छोड़ने की भी मंजूरी दे दी है जिसमें बताया जा रहा है कि डॉक्टर मोहन यादव ने निर्देश पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था।
जिसमें यह कृष्ण मूर्ति द्वारा बताया गया है कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा की गई संरक्षण पहला माधव राष्ट्रीय उद्यान और कूनो राष्ट्रीय उद्यान में वन जीव प्रबंधन को मजबूती मजबूत करेगी।
माधव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि यह माधव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1958 में मध्य प्रदेश के राज्य बनने के साथ में हो गई थी और यहां ग्वालियर महाराज के लिए शाही शिकार का अभ्यारण था इस नेशनल पार्क का कुल क्षेत्रफल 354.61 वर्ग किलोमीटर है।
जिसमें माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1918 में मनिहार नदी पर बांधों का निर्माण करते हुए यह संख्या सागर और माधव तालाब का निर्माण कराया था जो आज अन्य जनों और नालों के साथ पार्क में सबसे बड़ा जल निकाय है।
जाने अकबर से था क्या रिश्ता
यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि शिवपुरी स्थित माधव नेशनल पार्क का नाम इतिहास के पन्नों में अकबर के शासनकाल से लेकर औपनिवेशिक काल तक दर्ज है जिसमें ऐसा बताया जा रहा है कि अकबर ने यहां हाथियों के पूरे झूम को अपने अस्तबल पर पहुंचा था।
इतिहास में दर्ज इस लेख से साबित होता है कि शिवपुरी का जंगली हाथियों और शेरों का सदियों पुराना इलाहाबाद से जो की नेशनल हाईवे 3 पर स्थापित नेशनल पार्क की डेट में देखरेख वन विभाग वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत कर रहा है हर साल हजारों टूरिस्ट यहां वाइल्डलाइफ और प्रकृति के अनोखे नजारे देखने के लिए पहुंचते हैं।
जाने कौन से जानवरों का रहेगा मुख्य आकर्षण
आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हिरण की है जो कि यहां आसानी से कुलांचे भरती नजर आते हैं और यहां सबसे ज्यादा छोटे चिंकारा भारतीय गजल और चीतल की है।
इसके अलावा नीलगाय सांभर ब्लैक वर्क भालू बंदर और लंगूर भी है यहां पाटटीदार हाईना जंगली बिल्ली लोमड़ी वाइल्डलाइफ को आसानी से घूमते देखा जा सकता है सालाना यहां हजारों प्रवासी पक्षी भी आते हैं।
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