MP OBC Reservation : ओबीसी आरक्षण पर एमपी हाई कोर्ट का राज्य सरकार को नोटिस, जवाब न देने पर लगेगा जुर्माना
जबलपुर हाईकोर्ट ने आबादी के हिसाब से ओबीसी को 51 फीसदी आरक्षण देने के मामले में मध्य प्रदेश सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए दो हफ्ते की अंतिम मोहलत दी है।

- OBC आरक्षण का मामला क्या है?
- प्रदेश में ओबीसी वर्ग 51 प्रतिशत की आबादी
- सरकार पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया
MP OBC Reservation : एमपी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने अन्य पिछड़ा वर्ग को उसकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर राज्य शासन को जवाब पेश करने अंतिम मोहलत दी है। जबलपुर हाईकोर्ट ने आबादी के हिसाब से ओबीसी को 51 फीसदी आरक्षण देने के मामले में मध्य प्रदेश सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए दो हफ्ते की अंतिम मोहलत दी है।एक साल में 11 सुनवाई हुई है लेकिन जवाब पेश नहीं किया गया है।
सरकार पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया
कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि अगर 2 हफ्ते में जवाब नहीं दिया गया तो सरकार पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगाओबीसी वर्ग के आरक्षण को लेकर गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. ओबीसी वर्ग को आबादी के अनुपात में आरक्षण देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
मामले की अगली सुनवाई 16 जून वाले सप्ताह में रखी गई है। याचिकाकर्ता जबलपुर की एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा है।
OBC आरक्षण का मामला क्या है?
यह 2024 में याचिका एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक एंड सोशल जस्टिस द्वारा दायर की गई थी। इसमें मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण देने की मांग की गई। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में एससी की आबादी 15.6 प्रतिशत, एसटी की 21.14 प्रतिशत, ओबीसी की 50.9 प्रतिशत और मुस्लिम की 3.7 प्रतिशत है. जबकि शेष 8.66 प्रतिशत अनारक्षित वर्ग की जनसंख्या है।
प्रदेश में ओबीसी वर्ग 51 प्रतिशत की आबादी
एससी को 16 प्रतिशत, एसटी को 20 प्रतिशत, ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। प्रदेश में ओबीसी वर्ग 51 प्रतिशत की आबादी है, इसलिए उसी अनुपात में आरक्षण दिया जाना होगा।
दलील पेश की गई कि इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को यह निर्देश दिए थे कि ओबीसी वर्ग को निर्धारित मापदंडों के आधार पर उनकी सामाजिक, आर्थिक शैक्षणिक स्थितियों का नियमित रूप से परीक्षण करने के लिए स्थायी अयोग गठित किया जाए। आयोग तो बना हुआ है लेकिन ओबीसी वर्ग के उत्थान के लिए काम नहीं हुआ
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