मध्यप्रदेश में जिलों और तहसीलों का पुनर्गठन,क्या बदलाव ला सकता है मुख्यमंत्री का नया बयान?

  • मुख्यमंत्री ने कही विसंगति की बात
  • नए जिलों और संभागों बनेगे
  • क्या बदलाव ला सकते हैं ये पुनर्गठन?

Bhopal news : मध्यप्रदेश में जिलों और तहसीलों के पुनर्गठन को लेकर इन दिनों हलचल मची हुई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महेश्वर में एक बड़ा बयान दिया है, जिससे प्रदेश के प्रशासनिक मानचित्र में बदलाव की संभावना नजर आने लगी है। उनका कहना है

कि कई जिलों में विसंगति है, जैसे कुछ जिलों में केवल 5 लाख लोग रहते हैं, जबकि कुछ जिलों में 40 लाख से भी ज्यादा लोग हैं। ऐसे में इस विसंगति को दूर करने के लिए पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया है, जो प्रदेश के जिलों, संभागों और तहसीलों के पुनर्निर्माण का काम करेगा।

इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि मध्यप्रदेश में जिलों और तहसीलों का पुनर्गठन कैसे किया जाएगा, मुख्यमंत्री के बयान के पीछे की संभावनाएं क्या हैं।

मुख्यमंत्री ने कही विसंगति की बात

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में महेश्वर में अपने बयान में कहा कि मध्यप्रदेश में कई जिले हैं, जिनकी जनसंख्या और भौगोलिक आकार में बहुत अंतर है। कुछ जिले जहां केवल 5 लाख की जनसंख्या है, वहीं इंदौर जैसे जिले की जनसंख्या 40 लाख से भी ज्यादा है। यह विसंगति प्रशासनिक दृष्टि से समस्याएं उत्पन्न करती है, क्योंकि जनसंख्या के हिसाब से प्रशासनिक ढांचा और संसाधन भी समान नहीं होते।

 

इसी विसंगति को दूर करने के लिए उन्होंने पुनर्गठन आयोग का गठन किया है, जो न केवल जिलों के आकार को नए तरीके से निर्धारित करेगा, बल्कि तहसील और गांवों के नामों में भी बदलाव कर सकता है। इस आयोग के माध्यम से जनता की राय ली जाएगी और प्रशासनिक सुधार किए जाएंगे।

नए जिलों और संभागों बनेगे

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस पुनर्गठन के दौरान नए जिलों और संभागों का निर्माण किया जा सकता है। खासतौर पर इंदौर संभाग में कई जिलों की स्थिति पर ध्यान दिया जा रहा है। जैसे, खरगोन जिले की स्थानीय मांग बहुत समय से उठ रही है कि इसे एक नया संभाग बनाकर एक अलग जिला बनाया जाए, साथ ही महेश्वर को भी जिला बनाने की मांग की जा रही है। इससे इंदौर संभाग का नक्शा बदल सकता है।

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इसके अलावा, पीथमपुर के बारे में भी मुख्यमंत्री ने संकेत दिए हैं कि इसे नए प्रशासनिक क्षेत्र के रूप में पहचाना जा सकता है। यह इलाका इंदौर जिले से सिर्फ 26 किलोमीटर और धार से 48 किलोमीटर दूर स्थित है, और इस क्षेत्र के लोग अक्सर दो जिलों के बीच प्रशासनिक कामकाज के लिए संघर्ष करते हैं। यहां की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र को अपने अधिकार क्षेत्र में लाने की बात भी की जा सकती है।

जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति के आधार  पर होगा पुनर्गठन

आखिरकार, जब जिलों और तहसीलों के पुनर्गठन की बात होती है तो यह केवल जनसंख्या या भौगोलिक स्थिति का मामला नहीं होता, बल्कि यह संसाधनों के उचित वितरण, प्रशासनिक प्रभावशीलता और नागरिकों की सुविधा से भी जुड़ा होता है। मध्यप्रदेश में कई तहसीलें जिला मुख्यालय से बहुत दूर हैं और दूसरे जिलों से लगी हुई हैं। ऐसे में इन जिलों के पुनर्गठन के बाद प्रशासनिक दृषटिकोन से कुछ सुधार होने की संभावना है, जो आम जनता के लिए फायदेमंद हो सकता है।

आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से यह बदलाव महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि नए जिलों के गठन के बाद विकास के कार्यों में तेजी आ सकती है और सरकार की योजनाओं का फायदा सीधे तौर पर नागरिकों तक पहुंच सकता है।

नए जिलों के अस्तित्व में आएगे

नई जिलों और तहसीलों के अस्तित्व में आने की प्रक्रिया में कई कदम होते हैं। पहले जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति का अध्ययन किया जाएगा। उदाहरण के लिए, ऐसी तहसीलें जो मुख्यालय से दूर हैं, या जो अन्य जिलों से जुड़ी हुई हैं, उन्हें एक अलग जिले में विलय किया जा सकता है। इसके बाद प्रस्तावों को भारत सरकार को भेजा जाएगा। केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद ही इन जिलों का आधिकारिक रूप से अस्तित्व होगा।

क्या बदलाव ला सकते हैं ये पुनर्गठन?

मध्यप्रदेश के जिलों और तहसीलों के पुनर्गठन से कुछ बड़े बदलाव हो सकते हैं। सबसे पहले, यह प्रशासनिक ढांचे को अधिक सुगम बना सकता है। छोटे जिलों में प्रशासनिक नियंत्रण मजबूत हो सकता है, जिससे विकास कार्यों में तेजी आ सकती है।

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इसके अलावा, अगर कोई नया जिला बनता है तो वहां के लोगों को बेहतर सेवाएं मिल सकती हैं, क्योंकि स्थानीय स्तर पर प्रशासन का प्रभाव बढ़ेगा। यही नहीं, जनसंख्या के आधार पर संसाधनों का सही वितरण भी संभव होगा, जो कि विकास कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होगा।

स्थानीय लोगों की राय महत्वपूर्ण

मुख्यमंत्री के बयान के अनुसार, पुनर्गठन के प्रस्तावों को लेकर जनता की राय ली जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि कोई गांवों के नाम बदलने के लिए सुझाव देता है तो यह आयोग के माध्यम से संभव होगा। यह बदलाव न केवल प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह स्थानीय लोगों की भावना को भी ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।

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Alok Singh

मेरा नाम आलोक सिंह है मैं भगवान नरसिंह की नगरी नरसिंहपुर से हूं ।और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में आया था ।मुझे पत्रकारिता मैं इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया का 20 वर्ष का अनुभव है खबरों को प्रमाणिकता के साथ लिखने के हुनर में माहिर हूं।

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