Top 10 Loan Status List : मध्य प्रदेश मे अब तक कितना कर्ज, देश के कर्जदार राज्यों की सूची में ,मध्य प्रदेश का नाम शामिल, देखे जनकारी
अब तक की सबसे ताजा जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश पर कर्ज बढ़कर 4 लाख 80 हजार 976 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।जो देश के कुल कर्ज का एक बड़ा हिस्सा है।

- देश में कर्जदार राज्यों की रैंकिंग
- मध्य प्रदेश मे अब तक कर्ज की स्थिति
- कर्ज का सिलसिला एक लंबी लिस्ट
- कर्ज का हिसाब इस प्रकार है
- राज्य सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?
Top 10 Loan Status List : आजकल मध्य प्रदेश का नाम कर्जदार राज्यों की सूची में टॉप 10 में शामिल हो गया है। पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे राज्य के वित्तीय संकट की स्थिति और कठिन हो गई है। राज्य सरकार द्वारा बार-बार लिया जा रहा कर्ज, प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर गंभीर सवाल उठाता है।
और राज्य की स्थिति को कमजोर बना रहा है।अब तक की सबसे ताजा जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश पर कर्ज बढ़कर 4 लाख 80 हजार 976 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।जो देश के कुल कर्ज का एक बड़ा हिस्सा है।
देश में कर्जदार राज्यों की रैंकिंग
देश में कर्ज के मामले में सबसे अधिक कर्जदार राज्य तमिलनाडु है। राज्य पर 9 लाख 55 हजार 690 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक का नंबर आता है। उत्तर प्रदेश पर 8 लाख 57 हजार 844 करोड़, महाराष्ट्र पर 8 लाख 12 हजार 68 करोड़ और कर्नाटक पर 7 लाख 25 हजार 455 करोड़ रुपये का कर्ज है।
कर्जदार राज्यों की सूची में मध्य प्रदेश 9वें स्थान पर है। राज्य पर 4 लाख 80 हजार 976 करोड़ रुपये का कर्ज है, जो मध्य प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता का विषय बन चुका है।
मध्य प्रदेश मे अब तक कर्ज की स्थिति
मध्य प्रदेश का कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2007 में राज्य पर कर्ज 52 हजार 731 करोड़ रुपये था।जो अब बढ़कर 4 लाख 80 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो गया है। यह आंकड़ा राज्य की वित्तीय सेहत की गंभीर स्थिति को दर्शा रहा है। राज्य सरकार ने 2007 से लेकर अब तक कई बार कर्ज लिया है, लेकिन कर्ज में कमी लाने में कोई सफलता नहीं मिल पाई है।
पिछले कुछ सालों में कर्ज में वृद्धि की गति ने राज्य की आर्थिक समस्याओं को और अधिक बढ़ा दिया है। राज्य सरकार को लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है ताकि अपने खर्चों को पूरा कर सके। हाल ही में राज्य सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है और इस वित्तीय वर्ष में करीब 35 हजार करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से लिया गया है।
कर्ज का सिलसिला एक लंबी लिस्ट
कर्ज का सिलसिला अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। जुलाई से दिसंबर तक की स्थिति पर नजर डालें, तो राज्य सरकार ने हर महीने 5 हजार करोड़ रुपये के कर्ज लिए हैं। अगस्त, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में हर महीने सरकार ने 5-5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। इस तरह, कर्ज का यह सिलसिला अभी तक जारी है।
कर्ज का हिसाब इस प्रकार है
– 01 अगस्त: 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
– 22 अगस्त: 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
– 19 सितंबर: 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
– 03 अक्टूबर: 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
– 21 नवंबर: 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
– 19 दिसंबर: 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
– 26 दिसंबर: 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
इस तरह, कर्ज का यह सिलसिला अब तक लगातार जारी है। यदि इस तरह का कर्ज बढ़ता रहा, तो आने वाले वर्षों में राज्य के लिए आर्थिक स्थिरता बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
कर्ज लेने के कारण
राज्य सरकार की बढ़ती कर्ज लेने के कई कारण हैं। राज्य में लगातार बढ़ती जनसंख्या, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण, किसानों के लिए योजनाओं और अन्य विकास कार्यों के लिए धन की आवश्यकता रहती है। राज्य सरकार के पास इन योजनाओं के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, जिस कारण कर्ज की ओर रुख किया जा रहा है।
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इसके अलावा, कोरोना महामारी और आर्थिक मंदी के कारण राज्य की आय में कमी आई है, जिसके परिणामस्वरूप कर्ज में वृद्धि हुई है। राज्य सरकार को कोरोना राहत कार्यों, गरीबों के लिए योजनाओं और राज्य के विकास कार्यों के लिए खर्च बढ़ाने पड़े, जिससे कर्ज बढ़ा है।
राज्य सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?
मध्य प्रदेश सरकार को कर्ज के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए कई कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, राज्य की आय को बढ़ाने के उपायों पर ध्यान देना होगा। कृषि, उद्योग, पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की कोशिश करनी होगी। साथ ही, सरकारी खर्चों को नियंत्रित करने के लिए खर्चों में कटौती करना जरूरी होगा।
इसके अलावा, राज्य सरकार को वित्तीय योजना में सुधार करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में राज्य पर कर्ज का बोझ कम हो सके। इस दिशा में सरकार को लम्बी योजना बनानी होगी, जिसमें कर्ज को नियंत्रित करने के लिए सख़्त उपायों पर काम किया जाए।
राजनीतिक टिप्पणी
कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर इस कर्ज के मुद्दे को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकार के द्वारा कर्ज लेकर राज्य के भविष्य को खतरे में डाला जा रहा है। वे यह भी कहते हैं कि राज्य सरकार को कर्ज के बजाय राज्य की आय बढ़ाने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
वहीं राज्य सरकार का कहना है कि कर्ज की यह राशि राज्य के विकास के लिए ली जा रही है। इससे राज्य का विकास किया जाएगा। और यह सभी योजनाओं को सफल बनाने के लिए जरूरी है। हालांकि, विपक्षी दलों के आरोपों का जवाब देने के बावजूद, यह स्थिति राज्य के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि कर्ज का बोझ हर साल बढ़ रहा है।
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