8th Pay Commission : कर्मचारियों के लिए खुशखबरी,आठवें वेतनमान की घोषणा,जानिए कब से लागू होगा
प्रदेश में कुछ कर्मचारी ऐसे भी हैं जो पांचवें और छठवें वेतन पर अभी भी अटके हुए हैं। सातवां वेतनमान पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
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- कुछ मामले अदालत तक पहुंचे
- इन प्रकरणों का तुरंत करे निराकरण
- आठवां वेतन आयोग क्या है
- कर्मचारियों की यह भी है मांगे
8th Pay Commission: आठवीं वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी है।उम्मीद है कि 2026 में इसे लागू कर दिया जाएगा इससे पहले आयोग गठित होगा। सभी अधिकारी कर्मचारियों के वेतन वृद्धि भी हो सकती है।इसके बाद सरकार निर्णय लेगी सबसे पहले केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों पर यह आठवें वेतन लागू करेगी।
इसके बाद राज्य सरकार विचार करेगी। लेकिन इसकी हलचल प्रदेश में अभी शुरू हो गई है। आठवीं आयोग की सिफारिश लागू होने से पहले ही कर्मचारी वेतन विसंगति दूर करवाने की कोशिश कर रहे हैं। अभी भी 8 वर्ष पहले लागू सातवें वेतनमान की वेसंगति बरकरार चल रही है।
कुछ मामले अदालत तक पहुंचे
प्रदेश में कुछ कर्मचारी ऐसे भी हैं जो पांचवें और छठवें वेतन पर अभी भी अटके हुए हैं। सातवां वेतनमान पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।अधिक से ज्यादा कर्मचारी निगम मंडल प्रतीकरण आदि के हैं। इनमें आवास संघ, उपभोक्ता संघ, हस्तशिल्प विकास निगम, औद्योगिक केंद्र, विकास निगम बोर्ड इत्यादि शामिल किए गए हैं।
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तिलहन संघ, परिवहन निगम के कर्मचारियों को तो अभी भी पांचवा वेतन दिया जा रहा है। हालांकि इन दोनों निगम को सरकार बंद कर चुकी है।लेकिन यहां कुछ कर्मचारी अभी भी पदस्थ हैं और कुछ मामले अदालत तक भी पहुंच चुके हैं
छठा वेतन
केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2006 से छठे वेतन का लाभ दिया था एमपी में 2008 से लागू किया गया था हालांकि लाभ 2006 से ही दिया गया है।
सातवां वेतनमान
केंद्र ने अपने कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतनमान का लाभ दिया था। एमपी में जुलाई 2017 से लागू किया गया। कर्मचारियों को 18 माह के एरिया का भुगतान किया गया था।
राज्य कर्मचारियों की आठवी वेतन से उम्मीद
मध्य प्रदेश में आठवां वेतन साल 2028 में लागू किया जाएगा।वहीं 31 दिसंबर 2025 तक सातवें वेतन आयोग की अवधि है। इसी से राज्य के कर्मियों को उम्मीद जगी है।
इन प्रकरणों का तुरंत करे निराकरण
- प्रदेश के कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनर्स निगम मंडलों आदि में कार्यरत अधिकारी कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ 2020 के निर्णय के तहत दिया जाना चाहिए।
- वाहन चालकों की नियमित भर्ती हो पदनाम परिवर्तित कर टैक्सी पर पूर्णत प्रतिबंध लगाना चाहिए।
- प्रदेश के सभी विभागों में अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों का तत्काल निराकरण किया जाए ।
- आंगनबाड़ी सहायिकाओं कार्यकर्ताओं को उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार नियमित वेतन का लाभ दिया जाए।
- तृतीय समयमान वेतन प्राप्त करने के लिए विभागीय परीक्षा की बड़ा को समाप्त कर अन्य विभागों की भांति निर्माण विभागों में भी वेतन का लाभ दिया जाए।
कर्मचारियों की यह भी है मांगे
- पटवारी का ग्रेड पे 2800 रुपए किया जाए।
- प्रदेश के अधिकारी कर्मचारी एवं पेंशनर्स को केंद्र के समान महंगाई भत्ता देते हुए एरिया का भुगतान किया जाए।
- पदोन्नति शुरू की जाए
- पंचायती सचिव स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाए।सभी विभागों के अधिकारियों को समय मान वेतन का लाभ पद उन्नति वेतन के अनुसार ही दिया जाए।
- स्वास्थ्य कर्मचारियों को लंबे समय से की जा रही मांग पूरी की जाए।
- अतिथि शिक्षकों एवं अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाए।
- कार्यभारित कर्मियों को अवकाश नगदी कारण का लाभ प्रदान किया जाए।
- प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी पदों पर आउटसोर्स से की जाने वाली भर्ती पर रोक लगाई जाए।
- विभाग अध्यक्ष को नियमितीकरण के अधिकार दिए जाएं।
- दैनिक वेतन भोगी संविदा कर्मचारी स्थाई कर्मियों को विभाग में खाली पदों पर नियमितीकरण किया जाए। शेष पदों पर सीधी भर्ती की जाए।
सभी कर्मचारियों की अपनी अपनी मांगे
संविदा कर्मियों को सातवें वेतन का लाभ तो दिया गया है। लेकिन भारी विसंगति है। उनके साथ भेदभाव किया गया है। बरसों पूर्व सेवा में आए और मौजूद कर्मचारियों को एक समान वेतनमान मिल रहा है।समय मान वेतनमान पदोन्नति क्रमन्नति का लाभ भी नहीं मिल रहा है।
संविदा कर्मचारी महासंघ अध्यक्ष रमेश राठौड़ ने कहा है।कि राज्य के कर्मचारियों का बुरा हाल है। सातवें वेतनमान की वे संगतिया 7 साल से दूर नहीं की गई है। यह भारी मुश्किल है आठवां वेतनमान लागू करने से पहले ही वेतन विसंगतियां दूर करनी चाहिए।इसके साथ ही सभी अधिकारियों कर्मचारियों की अन्य लंबित मांगों पर भी सरकार को विचार करना चाहिए।
अर्थशास्त्र के कर्मचारी फेडरेशन, अध्यक्ष, अनिल बाजपेई ने कहा है कि 35 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले राज्य के विभिन्न विभागों के अधिकारियों को चतुर्थ समय मान वेतन का लाभ दिया जा चुका है। लेकिन विधानसभा सचिवालय के कर्मचारी अभी भी इस लाभ से वंचित है। अभी भी इनकी सातवें वेतनमान की विसंगति दूर नहीं हुई है।
आठवां वेतन आयोग क्या है
केंद्र सरकार एक आयोग का गठन किया जाता है। इसे वेतन आयोग कहा जाता है। यह केंद्र सरकार कर्मचारियों की सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव की सिफारिश करता है। पहले सातवें वेतन आयोग फरवरी साल 2014 में गठित किया गया था।
लेकिन इसे 1 जनवरी 2016 में लागू किया गया था।सातवां वेतन आयोग में कर्मचारियों की सैलरी ₹7000 से बढ़कर 18000 रुपए की गई थी। हर साल 10 साल में नए आयोग का गठन किया जाता है। इसी प्रकार आठवी वेतन आयोग का गठन किया गया है।
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